शनिवार, नवंबर 07, 2020

धीरे धीरे चाय मेरी बनती है ☕

धीरे धीरे चाय मेरी बनती है ☕


सुबह की अलस सी करवटें लेती
कसमसाती सुगबुगाती
एक नए दिन
एक नई जिंदगी के आगाज़ में
रंग फिर अपना बदलती है

धीरे धीरे चाय मेरी बनती है

गिन कर डाली गई थोड़ी सी मिठास
और कूट कर मिलाई थोड़ी ज्यादा सी अदरक का कड़क स्वाद

जिंदगी से कम थोड़ी है...

न जाने कितने 
कितने उफान लेती है
तब कहीं जाकर 
छनती है

धीरे धीरे चाय मेरी बनती है☕

(July 22, 2020)

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