गुरुवार, नवंबर 26, 2020

इन यादों तक को

इन यादों तक को 

कोइ ले गया था चुराकर

और हम इस उम्मीद में जीते रहे

कि अब किसी की कैद में है ये यांदें जिंदगी भर 


फिर लौटा गया कम्बख्त 

पीछे मुड के भी न देखा उसकी निगाहों ने एकबर 

न उसपे कोइ तकादा रहा न कोइ बहाना ए दीदार 

यादों के साथ गम दे गया सारे डबल-ट्रिपल कर |

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