गुरुवार, अक्तूबर 02, 2014

बहुत पहले रहा होगा ऐसा कवि

बहुत पहले रहा होगा एक कवि 
एक पुराने शहर में 
एक बचपन के शहर में 
किसी और जमाने में 
किसी और जन्म में 
किसी और समय में 
किसी और सदी में 

बहुत पहले रहा होगा एक कवि 

सच कहू 
वो समय न रहा  
और वो जिजीविषा भी नहीं 
मर गया वो कवि 

अगली कई सदियों तक पता भी न चला 
उस कवि का 

आज फिर से जन्मा है वो

न जाने कब तक रहेगा ज़िंदा 
संवेदनाओ के अतिरेक के बिना 
उसे रोज़ाना चाहिए होंगी 
पीने के लिए संवेदनाए 
जीने के लिए हृदय
पूछने के लिए प्रश्न 
देने के लिए उत्तर 


बहुत पहले रहा होगा ऐसा कवि 

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