बहुत पहले
रहा होगा एक कवि
एक पुराने
शहर में
एक बचपन के
शहर में
किसी और
जमाने में
किसी और जन्म
में
किसी और समय
में
किसी और सदी
में
बहुत पहले
रहा होगा एक कवि
सच कहू
वो समय
न रहा
और वो
जिजीविषा भी नहीं
मर गया वो
कवि
अगली कई
सदियों तक पता भी न चला
उस कवि का
आज फिर से जन्मा है वो
न जाने कब तक
रहेगा ज़िंदा
संवेदनाओ के
अतिरेक के बिना
उसे रोज़ाना
चाहिए होंगी
पीने के लिए
संवेदनाए
जीने के लिए हृदय
पूछने के लिए
प्रश्न
देने के लिए
उत्तर
बहुत पहले
रहा होगा ऐसा कवि
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