सोमवार, सितंबर 25, 2006

कभी पूरा न हो पाने के लिए...

कभी पूरा न हो पाने के लिए
तुम्हें लिखे
किसी अधूरे खत की तरह
गुजरेंगे अब दिन
और मैं भी
तुम बिन ।

1 टिप्पणी:

Mahak ने कहा…

gud poem by a gud poet