रविवार, जून 20, 2021

वो छत वाले घर

 वो छत वाले घर 


आसमान से होती थी 

बातें जहां सीधी 

हवा में उड़ते फिरते थे 

बिना ही पर 

कहाँ गए वो 

छत वाले घर


छतें नहीं तो आसमाँ नहीं

आसमाँ नहीं तो ख़्वाब कहाँ 

गिन कर मिलती हैं साँसें

अपार्टमेंट्स में

ज़िंदगी वैसी बेहिसाब कहाँ


इंद्रधनुष तक आ जाते थे चौक में 

वो छत वाली डोलियाँ कूदकर 

हवा में उड़ते फिरते थे बिना ही पर 

कहाँ गए वो छत वाले घर ।


(Nov 2020)

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