सोमवार, नवंबर 30, 2020

फिर उठी लहर

फिर उठ गई

लहर

फिर मिट गई ।

ज़िंदगी एक ख़्वाब सी 

गुजर गई ।


फिर उठी लहर

फिर मिट गई ।

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