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क्षितिज के उस पार
मेरी हिन्दी कवितायें
गुरुवार, अक्टूबर 02, 2014
मूसी महारानी की छतरी, अलवर
यही बैठता था मै
संगमरमर के चबूतरे पर
नीचे धरती पर
आसमान खोजता
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