शनिवार, अक्तूबर 23, 2021

फिर मरूं फिर जिऊँ

फिर मरूं फिर जिऊँ 

फिर गीत लिखूं 
फिर कविता पढूं 

फिर हँसू फिर फफक रो पडूँ
फिर पुलकूं 
फिर छलक पडूं 

क्या करूं मोक्ष का
मैं इक फूल हूं 
क्यूँ न फिर से खिलूँ 
फिर महकूँ…

(2014)

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