मंगलवार, सितंबर 04, 2018

शंभो

कहीं तो पहुँचती होंगी अज़ानें 
कोई तो घर होगा इत्मिनान का 

वहीं से आती होगी जीने की ख्वाहिश
जानने की उत्सुकता

कभी तो वक़्त भी होता होगा इतना मशगूल
हंसने, रोने, ख्वाब देखने और कुल मिलाकर जीने में 
कि उसे पता ही न चलता होगा खुद का बीत जाना 

कहीं तो खो जाती होगी लौ 
बुझ जाने पर दिए के 
कहीं तो रह जाता होगा 
न होना भी 

आनंद का स्त्रोत होगा जहां भी 
उसी की झलक दिखाई पड़ती है तुझमें मुझे यहां भी 


कहीं तो पहुँचती होंगी अज़ानें 
कोई तो घर होगा इत्मिनान का 

वहीं से आता होगा तू भी 
शंभो

(On the birth of Shambho :-)  शं ŚAM(BLISS/HAPPINESS) + भो BHO(SOURCE/ABODE) = "SOURCE/ABODE OF JOY")

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