कहीं तो पहुँचती होंगी अज़ानें
कोई तो घर होगा इत्मिनान का
वहीं से आती होगी जीने की ख्वाहिश
जानने की उत्सुकता
कभी तो वक़्त भी होता होगा इतना मशगूल
हंसने, रोने, ख्वाब देखने और कुल मिलाकर जीने में
कि उसे पता ही न चलता होगा खुद का बीत जाना
कहीं तो खो जाती होगी लौ
बुझ जाने पर दिए के
कहीं तो रह जाता होगा
न होना भी
आनंद का स्त्रोत होगा जहां भी
उसी की झलक दिखाई पड़ती है तुझमें मुझे यहां भी
कहीं तो पहुँचती होंगी अज़ानें
कोई तो घर होगा इत्मिनान का
वहीं से आता होगा तू भी
शंभो |
(On the birth of Shambho :-) शं ŚAM(BLISS/HAPPINESS) + भो BHO(SOURCE/ABODE) = "SOURCE/ABODE OF JOY")