ऐसे ही गुजरा मेरा दिन
ऐसे ही गुजरी मेरी रात
ऐसे ही गुजरी मेरी रात
हर रोज़ हमने
हर रोज़ से की मुलाक़ात
हर रोज़ से की मुलाक़ात
कविता थी वह
कवि था मैं
जिंदगी से मैंने बस ऐसे ही की बात ।
कवि था मैं
जिंदगी से मैंने बस ऐसे ही की बात ।
03 अगस्त 2015
मेरी हिन्दी कवितायें
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