“वह नहीं जानता दर्द!
लाख में एक को होती है बीमारी”
मैं पढता हूँ – अखबार मे
पर
युद्ध, हिंसा और बर्बरता की इस दुनिया मे
कहीं गलत तो नहीं
यह डॉक्टरी आँकडा ?
और फिर वह नहीं जानेगा दर्द
तो क्या वह जान पायेगा मानवता ?
खैर!
दर्द को जानना और समझना
अपने आप मे दर्द पैदा करना है
और दर्द को न जानना भी
एक दर्द है
दुआ है कि
वह जान पाए दर्द
पर कुछ
शायराना अंदाज मे
यूं कहूं तो बेहतर होगा
खुशकिस्मत है वह
कि इस बेदर्द दुनिया मे
नहीं जानता दर्द !
लाख में एक को होती है बीमारी”
मैं पढता हूँ – अखबार मे
पर
युद्ध, हिंसा और बर्बरता की इस दुनिया मे
कहीं गलत तो नहीं
यह डॉक्टरी आँकडा ?
और फिर वह नहीं जानेगा दर्द
तो क्या वह जान पायेगा मानवता ?
खैर!
दर्द को जानना और समझना
अपने आप मे दर्द पैदा करना है
और दर्द को न जानना भी
एक दर्द है
दुआ है कि
वह जान पाए दर्द
पर कुछ
शायराना अंदाज मे
यूं कहूं तो बेहतर होगा
खुशकिस्मत है वह
कि इस बेदर्द दुनिया मे
नहीं जानता दर्द !