शोर मे
शान्ति सी तुम
भोर में
आरती सी तुम
पंछी मे
पंखों सी तुम
बंसी में
छिद्रों सी तुम
हकीकत में
भ्रान्ति सी तुम
स्वप्न में
जीती जागती सी तुम
कला में
सृजन सी तुम
प्रेम में
समर्पण सी तुम
धडकनों के लिए
हृदय सा केतन हो तुम
जानते हुए
बनता जो अनजान
वो
अवचेतन हो तुम !
शान्ति सी तुम
भोर में
आरती सी तुम
पंछी मे
पंखों सी तुम
बंसी में
छिद्रों सी तुम
हकीकत में
भ्रान्ति सी तुम
स्वप्न में
जीती जागती सी तुम
कला में
सृजन सी तुम
प्रेम में
समर्पण सी तुम
धडकनों के लिए
हृदय सा केतन हो तुम
जानते हुए
बनता जो अनजान
वो
अवचेतन हो तुम !
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