रविवार, जुलाई 04, 2021

ज़िंदगी

ज़िंदगी है उम्र के साथ बेशुमार बढ़ती जाएगी 

रंगों की छटा इसमें बहार बन के छाएगी

ख़ुशबुएँ

ख़ुशबुएँ 

किसको नहीं भाती 

काँटों से

निकलकर जो हैं ये आती ।