पीछे कहीं दिन
आगे कहीं रात है |
समय के परे
जैसे कोई बात है |
छूटता है कुछ
ख़त्म नहीं होता
पहले और बाद में नही
सब मौजूद एक ही तो साथ है
पीछे कहीं दिन
आगे कहीं रात है
और कहीं आगे दिन
और कहीं आगे फिर कहीं रात है
और और कहीं आगे
शायद
न दिन है न रात है
फिर कुछ दूर चलने पर
दिखने लगे है तारे
और कुछ दूर जाने पर
हो जाए प्रकट, जाने कौनसी सौगात है
जीवन जो लगता बस थोड़ी दूरी सा
शायद बिना ओर -छोर फ़ैली कोई बात है
पीछे कहीं दिन
आगे कहीं रात है |
समय के परे
जैसे कोई बात है |
(Written at 37158 Feet, Lat 61 53 17 N, Long 71 35 17 W on a Seattle to Amsterdam flight in 2013)