रविवार, नवंबर 09, 2014

सामान्य जीवन

छोटी-छोटी खुशिंया
छोटे-छोटे गम
थोड़ी उदासी , थोड़ा अकेलापन
थोड़ी बस्ती
नाचना, गाना
मस्ती

थोड़ा नशा
थोड़ा ताश का खेल
थोड़ी काम(?) की बातें

जीवन के कश में
मृत्यु की परवाह दूर छिटकी हो कहीं
बुद्धत्व की खबर से भी दूर, और चाह तक नहीं

सामान्य जीवन ही
जीवन है
अर्थहीन जीवन ही
अर्थपूर्ण जीवन है ।

ताश का कोई नया खेल खेलें ?

बचपन, बुढ़ापा, और जवानी।
पहले कुछ था जो बेहतर था
या आगे कुछ होगा जो बेहतर होगा
तीनों की यही कहानी।

चलो, आज शाम कुछ थम जाएं
कुछ समय बर्बाद करें, कुछ नयी गप्प लड़ाएं
ताश का कोई नया खेल खेलें
या फिर चालें वही शतरंज की फिर से आज़माएं।
चलो, आज शाम कुछ थम जाएं । 

और-और मृत्यु-सांत्वनाओं

एक नया ब्रेकअप
फिर एक नया अफेयर
एक नयी शराब चख कर छोड़ देना / फिर फिर चखना
एक नया चुंबन
एक नयी मदहोशी
लम्पटबाजियां बद से बदतर

और और भगवानों, और और मंदिरों
और और धर्मों, और-और प्रार्थनाओं , और-और नमाजों
और-और मेडिटेशन तकनीकों
और-और मृत्यु-सांत्वनाओं
से बढ़कर , बेहतर । 

तनाव

बुद्ध बनें
या पूरी तरह
बुद्धू बनें रहें
इन दोनों के बीच
कैसे जिएं
कैसे मरें ।