रोटी ने छीन लिया संगीत
रंगो से नहीं हमारा नाता
काव्य भी अब नहीं हमारा मीत
रोटी ने छीन लिया संगीत
पढ़ते गणित करते सिर्फ व्यापार
जीवन भर दो और दो , न हो पाते चार
बाहर की आपाधापी में
भूल गए अंतर्गीत
रोटी ने छीन लिया संगीत
सृजन का पाठ नहीं पढाता कोई
कला नई नहीं सिखाता कोई
मॉल, बाजार, बस भोगो में
होता समय व्यतीत