मंगलवार, मई 27, 2014

रोटी ने छीन लिया संगीत

रोटी ने छीन लिया संगीत 
रंगो से नहीं हमारा नाता 
काव्य भी अब नहीं हमारा मीत 

रोटी ने छीन लिया संगीत 

पढ़ते गणित करते सिर्फ व्यापार 
जीवन भर दो और दो , न हो पाते चार 
बाहर की आपाधापी में 
भूल गए अंतर्गीत 

रोटी ने छीन लिया संगीत 

सृजन का पाठ नहीं पढाता कोई 
कला नई नहीं सिखाता कोई 
मॉल, बाजार, बस भोगो में 
होता समय व्यतीत 

रोटी ने छीन लिया संगीत

रविवार, मई 18, 2014

लौट आते है पंछी ...

सभी जगह होते हैं 
एक नदी 
एक पहाड़
एक घाटी 
एक रेत 
एक सपना 
एक कोई अपना 

जगह जगह घूमकर 
लौट आते हैं पंछी 
नीड पर ।